पूर्व भारतीय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भारत के प्रथम गृहमंत्री और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष थे। उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है और उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का मिसाइल मैन और भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री जन धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान जैसे कई महत्वपूर्ण केंद्र सरकारी योजनाओं का भी निर्माण किया था।
उन्होंने भारत को एक विश्वस्तरीय देश बनाने के लिए जीवनभर दिन-रात मेहनत की थी और उनके विचारों और कार्यकलापों ने देश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया था।
ष्ट्ब्दुल कलाम भारत के प्रथम गृहमंत्री और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष थे। उन्हें भारत के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है और उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का मिसाइल मैन और भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री जन धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान जैसे कई महत्वपूर्ण केंद्र सरकारी योजनाओं का भी निर्माण किया था।
उन्होंने भारत को एक विश्वस्तरीय देश बनाने के लिए जीवनभर दिन-रात मेहनत की थी और उनके विचारों और कार्यकलापों ने देश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के युवाओं को उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया था।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
पूर्व भारतीय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। वह भारत के पहले महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बाद इस पद पर चुने गए दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति थे।
उन्होंने भारतीय राजनीति और समाज को लगातार संवेदनशील तथा सक्रिय बनाने के लिए अपने पद के दौरान कई पहल किए। उन्होंने एक "पुराने भारत के नए सपने" का विकास किया, जिसमें वे देश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों से मिले और उन्हें भारत के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने विविध विषयों पर कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें उनकी अंतरिक्ष अनुसंधान के कार्यक्रमों के विस्तार और बढ़ती जनसंख्या के चुनौतियों से संबंधित मुद्दे शामिल थे।
एपीजे अब्दुल कलाम 27 जुलाई, 2015 को गुजरात के राजकोट में एक कार्यक्रम के दौरान एक दिल का दौरा पड़ने के बाद निधन हो गए थे।